GST में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग करदाता की पहचान को सत्यापित करने के लिए किया जाता है। इसमें व्यक्ति के फिंगरप्रिंट्स, आईरिस स्कैन, या अन्य बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि करदाता वही व्यक्ति है, जो उसने खुद को बताया है।
इसका
मुख्य उद्देश्य GST रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित
और पारदर्शी बनाना है, जिससे फर्जीवाड़ा
और गलत रजिस्ट्रेशन को
रोका जा सके। यदि
किसी करदाता के दस्तावेज़ों में
किसी प्रकार की विसंगति पाई
जाती है, तो GST अधिकारी
उस व्यक्ति को बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन
के लिए बुला सकते
हैं।
बायोमेट्रिक
वेरिफिकेशन प्रक्रिया आमतौर पर उन मामलों
में अनिवार्य की जाती है
जहां जोखिम अधिक होता है,
जैसे कि रजिस्ट्रेशन के
दौरान किसी फिजिकल वेरीफिकेशन
की आवश्यकता होती है या
संदेहास्पद ट्रांजैक्शन पाए जाते हैं।
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